जयपुर में आयोजित सेमिनार में देहदान का बताया महत्व, युवाओं को जागरूक करने का आह्वान
वरिष्ठ पत्रकार ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में भी करवाया है पंजीकरण
जयपुर। वरिष्ठ पत्रकार डॉ. राकेश वशिष्ठ ने समर्पण सेवा संस्थान द्वारा आयोजित एक सेमिनार में 101वीं बार रक्तदान कर एक अनूठा उदाहरण पेश किया है। इस सेमिनार का विषय था देहदान, अंगदान, नेत्रदान और रक्तदान। डॉ. वशिष्ठ ने इस अवसर पर इन महान कार्यों के महत्व पर प्रकाश डाला और समाज में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता पर बल दिया।
डॉ. वशिष्ठ के विचार:सेमिनार में बोलते हुए डॉ. वशिष्ठ ने कहा, "दुनिया में देहदान, अंगदान, नेत्रदान और रक्तदान से बड़ा कोई दान नहीं है। ये दान किसी मानव को जीवनदान देने समान है।" उन्होंने बताया कि मृत्यु के बाद शरीर को दाह-संस्कार या दफनाने के बजाय शोध और चिकित्सा के लिए दान किया जा सकता है जिससे गंभीर बीमारियों के इलाज के नए तरीके खोजे जा सकते हैं। नेत्रदान से दो लोगों को दृष्टि दी जा सकती है और ब्रेन डेड होने पर अंगदान से कई लोगों को नया जीवन मिल सकता है। उन्होंने रक्तदान के महत्व पर भी जोर दिया और बताया कि स्वस्थ व्यक्ति साल में चार बार रक्तदान कर सकता है, इससे कोई कमजोरी नहीं होती।
101वाँ रक्तदान और अंगदान:डॉ. वशिष्ठ ने बताया कि उन्होंने 101वीं बार रक्तदान किया है। इतना ही नहीं, उन्होंने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में पहले ही देहदान और अंगदान के लिए पंजीकरण करवाया हुआ है और अब तक कई लोगों को इसके लिए प्रेरित भी कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि समय-समय पर ऐसे सेमिनार आयोजित करने चाहिए ताकि समाज में देहदान, अंगदान, नेत्रदान और रक्तदान के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सके। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे आगे आकर लोगों को जागरूक करें और रक्तवीर, देहदानी और अंगदानी समाज के लिए प्रेरणा हैं।
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