Friends did wonders in serving the birds, hundreds of trees were planted from each drop. पक्षियों की सेवा में दोस्तों ने किया कमाल।

जोगमाया चुग्गा संघ ने 11 सालों में किया अनोखा काम, हरियाली से गूंज रही है पक्षियों की चहचहाहट

जोधपुर में पक्षी प्रेमियों ने रचा इतिहास, पर्यावरण संरक्षण का दिया अनोखा उदाहरण

जोधपुर शहर से एक बेहद ही प्रेरणादायक कहानी सामने आई है। सेवाभावी दोस्तों मांगीलाल डऊकिया और किशोरसिंह राठौड़ ने 11 साल पहले पक्षियों के प्रति अपने प्रेम और सेवा भाव को एक अनोखे काम में बदल दिया। 2014 में उन्होंने जोगमाया चुग्गा संघ की स्थापना की, जिसका उद्देश्य पक्षियों को भोजन और आश्रय प्रदान करना था। 

शुरुआत मात्र 5 किलो चुग्गे से हुई, लेकिन आज यह संघ रोजाना 100 किलो से ज़्यादा ज्वार, बाजरा और मक्का जैसे अनाज पक्षियों को खिलाता है। लेकिन उनकी सेवा भावना यहीं तक सीमित नहीं रही। संघ के शुरुआती दिनों में जोगमाया मंदिर के परिसर में हरियाली का अभाव था। मांगीलाल और किशोरसिंह ने खुद हाथों से चार-पांच पौधे लगाए और वाटर वर्क्स से बाल्टी-बाल्टी पानी लाकर उनको सींचा। धीरे-धीरे उन्होंने पानी का कनेक्शन लिया, टंकी बनवाई, मोटर लगवाई और बूंद-बूंद सिंचाई पद्धति से सैकड़ों पौधे लगाए जो आज विशाल पेड़ बन चुके हैं।

आज, जोगमाया मंदिर का परिसर पक्षियों के कलरव से गूंजता है। कबूतर, तीतर, गौरेया, तोते और कई अन्य पक्षी यहां आते हैं और चुग्गा खाते हैं। पक्षियों के लिए विशेष घर, पानी की कुंडियाँ और विश्राम स्थल बनाए गए हैं। यहां तक कि मोर भी यहां आते हैं और बादलों के साथ नाचते हुए दिखाई देते हैं।  सैकड़ों परिंडे भी लगे हुए हैं, जहां पक्षी अपनी प्यास बुझाते हैं।

मांगीलाल और किशोरसिंह ने लोगों से अपील की है कि वे शोक के अवसरों पर फूलों के बजाय चुग्गे की बोरी दान करें और मांगलिक अवसरों पर पौधे गिफ्ट करें। जोगमाया चुग्गा संघ की अब पांच शाखाएँ हैं - जोगमाया चुग्गा मंदिर, पुरोहितान गिरियाली नाडी, ठंडली नाडी खाराबेरा पुरोहितान पट्टाकावास, पीथावास रुड़कली कुम्हारों की प्याऊ और इंडस्ट्रीयल एरिया बोरानाडा रीको। संघ सालाना "एक शाम पक्षियों के नाम" कार्यक्रम का भी आयोजन करता है, जिसमें धार्मिक आयोजन के साथ-साथ भामाशाहों का भी सम्मान किया जाता है। यह संघ 500 साल पुरानी जोगमाया मंदिर की देखरेख भी करता है, जहाँ 30 सालों से जोगाराम जी सेवाएं दे रहे हैं।

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