15 SDRF teams deployed in border areas in Rajasthan, 26 teams on alert mode. राजस्थान में SDRF की 15 टीमें सीमावर्ती इलाकों में तैनात, 26 टीमें अलर्ट

हवाई हमले और आपदा से निपटने के लिए मॉक ड्रिल और जन जागरूकता कार्यक्रम जारी

7 मई से अब तक 29 मॉक ड्रिल और 79 जन जागरूकता कार्यक्रम पूरे हो चुके हैं

जयपुर/जोधपुर राज्य आपदा प्रतिसाद बल (SDRF) के कमांडेंट राजेन्द्र सिंह सिसोदिया ने बताया कि राजस्थान के सीमावर्ती जिलों में एसडीआरएफ की तैनाती को और मजबूत किया गया है। श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर, बालोतरा और फलोदी जैसे सीमावर्ती जिलों में एसडीआरएफ की 15 टीमें पहले से ही तैनात हैं। इनके अलावा, जयपुर, अजमेर, कोटा, भरतपुर और उदयपुर स्थित एसडीआरएफ कम्पनी मुख्यालयों पर 26 रेस्क्यू टीमें अलर्ट मोड पर हैं, जो किसी भी आपदा या अप्रत्याशित स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।

जयपुर स्थित कंट्रोल रूम द्वारा राज्य आपदा प्रतिसाद बल की समस्त रेस्क्यू टीमों की निगरानी और नियंत्रण किया जा रहा है। एसडीआरएफ निरंतर महत्वपूर्ण स्थानों जैसे- विद्यालयों, महाविद्यालयों, तीर्थस्थलों, उद्यानों, रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों, हवाई अड्डों, अस्पतालों आदि पर स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर मॉक ड्रिल और जन-जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य नागरिकों को किसी भी आपदा, विशेष रूप से हवाई हमले की स्थिति में सुरक्षित रहने और आवश्यक कार्यवाही करने के तरीके सिखाना है।

7 मई, 2025 से अब तक एसडीआरएफ द्वारा 29 मॉक ड्रिल और 79 जन-जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा चुके हैं, और यह अभियान लगातार जारी है। 14 मई, 2025 को हवाई हमले के मद्देनजर कई स्थानों पर मॉक ड्रिल और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए थे। 

इन स्थानों में शामिल हैं:

* विद्याग्राम इंटरनेशनल सीनियर सेकेंडरी स्कूल, राधास्वामी बाग, चौमू (जयपुर)
* ताज होटल, आमेर (जयपुर)
* दिल्ली पब्लिक स्कूल, आर.के. पुरम (कोटा)
* आदित्य टेक्नो सीनियर सेकेंडरी स्कूल, सेवर (भरतपुर)
* होमगार्ड प्रशिक्षण केंद्र (उदयपुर)
* कृष्णा कोचिंग सेंटर (अजमेर)
* मथुरा दास माथुर अस्पताल, शास्त्री नगर (जोधपुर)
* सैटेलाइट अस्पताल (बीकानेर)

मॉक ड्रिल में क्षतिग्रस्त भवनों को सुरक्षित करना, घायलों को बचाना, प्राथमिक उपचार देना और अस्पताल भेजना जैसी गतिविधियों का अभ्यास किया गया। जन-जागरूकता कार्यक्रमों में लोगों को आपदा की स्थिति में स्वयं और अपने परिवार की सुरक्षा कैसे करें, सुरक्षा उपायों और राहत एवं बचाव तकनीकों के बारे में जानकारी दी गई। इसमें बेसिक लाइफ सपोर्ट तकनीकों जैसे प्राथमिक उपचार, सुरक्षित निकास और सीपीआर जैसी महत्वपूर्ण जानकारियां भी शामिल थीं।

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