Narsingh Prakatya Utsav celebrated with pomp in Jodhpur. जोधपुर में धूमधाम से मनाया गया नृसिंह प्राकट्य उत्सव।

नृसिंह चतुर्दशी पर मंदिरों में उमड़ी भक्तों की भीड़, सुरक्षा के मद्देनज़र कुछ बदलाव

मोती चौक स्थित मंदिर में 15वाँ वार्षिकोत्सव, गंगश्यामजी मंदिर में सीमित आयोजन

जोधपुरवैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी पर रविवार को जोधपुर शहर में भगवान नृसिंह का प्राकट्य उत्सव धूमधाम से मनाया गया। विष्णु अवतार भगवान नृसिंह के प्राकट्योत्सव पर शहर के सभी प्रमुख नृसिंह मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना और धार्मिक अनुष्ठान संपन्न हुए। मान्यता है कि इसी तिथि पर भगवान विष्णु ने हिरण्यकशिपु का वध कर अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा की थी। यह दिन बुराई पर अच्छाई की विजय और भक्तों की रक्षा के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।

मोती चौक स्थित स्वर्णकार समाज द्वारा सुनारों का बास स्थित श्री मुरलीमनोहर जी मंदिर में लगातार 15 वर्षों से नृसिंह प्राकट्योत्सव मनाया जा रहा है। इस वर्ष भी उत्सव बड़े ही धूमधाम से संपन्न हुआ। मंदिर संयोजक संजय कट्टा ने बताया कि अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक नृसिंह अवतार आज के परिदृश्य में भी अत्यंत प्रासंगिक है, विशेषकर जब भारतीय सेना पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद का सफलतापूर्वक मुकाबला कर रही है। इस बार के कार्यक्रम में सरकार द्वारा जारी दिशानिर्देशों का पूर्ण रूप से पालन किया गया। उत्सव में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। कार्यक्रम में अध्यक्ष लक्ष्मीनारायण, चन्द्र गुप्त, राजेश, दैवैन्द्र, रामनारायण, हिराचंद, रमेश आदि का सहयोग रहा।

भीतरी शहर जूनी धान मंडी स्थित गंगश्यामजी मंदिर में भी नृसिंह चतुर्दशी मनाई गई, परंतु भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को देखते हुए देवस्थान विभाग के आदेशानुसार इस बार पारंपरिक मेले और मलूका नृत्य का आयोजन नहीं किया गया। मंदिर के पुजारी पुरुषोत्तम शर्मा ने बताया कि भगवान नृसिंह के अष्टधातु से निर्मित करीब सवा मन वजन के मुखौटे की औपचारिक पूजा की गई। भीतरी शहर, सिटी पुलिस के पास गांधियों की गली स्थित नृसिंहजी मंदिर और चांदपोल के बाहर रामेश्वर सिद्ध पीठ धाम मंदिर के पास नृसिंह बाग में भी भगवान नृसिंह की पूजा-अर्चना की गई।

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